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किचन में लग गया ताला, न जीरे का तड़का न खा पाएँगे अरहर की दाल

किचन में लग गया ताला

Locked in the kitchen, won't be able to eat cumin seeds or Arhar dal

आम जनता पर तो जैसे मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा है, पहले सब्जियाँ महँगी हो रखी थीं, उनकी कीमत अभी घटी नहीं कि अब दालों और मसालों के दामों में भी बढ़ोतरी कर दी गई है।

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Upper class पर इसका असर तो क्या ही पड़ेगा किन्तु middle और lower क्लास की परेशानी को और अधिक बढ़ा दिया गया है। मूलभूत ज़रूरतों के बढ़े हुए दामों ने गरीबों का निवाला छीनना शुरू कर दिया है।

यह जो कीमतें बढ़ी हैं, इनका असर छोटे दुकानदारों से लेकर व्यापारियों पर भी पड़ा है। जहाँ राशन के सामान की मूल्य में इज़ाफ़ा होने से छोटे दुकानदारों का व्यापार प्रभावित हुआ है, वहीं माल की कमी और बड़े व्यापारियों द्वारा माल को stock करने की वजह से काफ़ी हद तक व्यापारियों के लिए भी एक विकट समस्या उतपन्न हो गई है।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अभी राशन की चीज़ों की कीमतों में और बढ़ोतरी होगी।

अब आम आदमी के लिए यह समस्या पैदा हो गई है कि वो अपना budget देखे या फिर पेट। चाहे सब्ज़ी हो, दाल हो या फिर मसाले इनमें से कुछ भी खरीदने से पहले सोचना पड़ रहा है। लहसुन, टमाटर, धनिया, अदरक के बाद अब दालों के भी रंग उड़ने शुरू हो गए हैं अर्थात् इनकी कीमतों में तेज़ी से उछाल आया है।

जब दालों के दाम बढ़ रहे हैं तो भला दाल में पड़ने वाला जीरा कैसे पीछे रह सकता है। जहाँ पहले यह पश्न उठ रहा था कि दाल खाएँ या ना खाएँ वहीं अब यह बात सताने लगी है कि दाल में तड़का लगाएँ या न लगाएँ।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अरहर की दाल पहले 120 रुपये में आ जाती थी लेकिन अब यही दाल 160 रुपये से ज़्यादा की कीमत पर मिल रही है। ठीक इसी तरह बीते महीने जो जीरा 330 रुपये से 400 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, अब वह 700 से 740 रुपये का आंकड़ा पार कर चुका है।

यदि दुकानदारों की मानें तो अचानक से बढ़ी इस महँगाई का असली कारण माल की shortage के सिवा और कुछ भी नहीं है।

अरहर की दाल पर पड़ेगी महँगाई की मार

देश की राजधानी दिल्ली में खारी बावली नामक बाज़ार के एक दुकानदार अशोक गुप्ता के अनुसार बीते महीने में दालों की कीमतों में लगभग 20 से 25 रुपये की बढ़ोतरी देखने को मिली है। दुकानदारों के अनुसार आगामी दिनों में अरहर की दाल के दाम और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

विदेशी इंपोर्टर (foreign importer) का दाँव

यदि देखा जाए तो काफ़ी हद तक अरहर दाल का बाज़ार imported supplies पर बहुत ज़्यादा depend करता है। नरेश गुप्ता जोकि Grain Merchants Association के president हैं उनके according Central government द्वारा लगाई गई stock limit उन पर तो लागू होती ही है लेकिन foreign importer के मामले में ऐसा कुछ भी प्रावधान नहीं किया गया है। foreign importer बाहर ही दाल को stock करने लगे हैं। जिसका असर बाज़ार पर पड़ता देखा जा सकता है।

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