भारत के सबसे अमीर मन्दिर
भारत के सबसे अमीर मन्दिर के बारे में जानने से पहले हम यह जानेंगे कि मन्दिर किसे कहते हैं? मन्दिर – जिसका मतलब होता है वह स्थान जहाँ पर जाकर लोग पूजा करते हैं। भारत में मन्दिर शब्द विशेष रूप से सनातन धर्म में धार्मिक स्थलों के लिए प्रयोग किया जाता है।
सनातन धर्म में बहुत से देवी – देवता और उनके अनेकों अवतार हैं। जैसे:- भगवान विष्णु और उनके अवतार – भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, भगवान नरसिंह आदि। भगवान शिव जी और उनके अवतार – ऋषि दुर्वासा, भगवान हनुमान आदि।
सनातन धर्म में देवी – देवताओं को मानने वाले करोड़ों भक्त / श्रद्धालु हैं, जिन्होंने अपने भगवान या देवी – देवता की पूजा करने के लिए अलग – अलग मन्दिर बनाए हैं। जिस कारण भारत में लाखों की गिनती में छोटे – बड़े मन्दिर स्थित हैं।
जब लोग इन मंदिरों में भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं तो अपनी – अपनी श्रद्धा के अनुसार भगवान को कुछ – न – भेंट करते हैं, यह भेंट किसी भी रूप में हो सकती है। जैसे:- फूल, फल, रुपये, सोना, चाँदी आदि। जिसे धार्मिक भाषा में ‘चढ़ावा’ कहते हैं।
भारत में कुछ मन्दिर ऐसे भी हैं। जिनमें लोग बहुत अधिक मात्रा में रूपये और सोना – चाँदी चढ़ाते हैं। जिस वजह से यह मन्दिर भारत के सबसे अमीर मन्दिर कहलाते हैं। आज हम इन्हीं मन्दिरों के बारे में बात करेंगे।
पद्मनाभ स्वामी मन्दिर
भारत के सबसे अमीर मन्दिर की List में सबसे पहले Number पर आता है, भारत के केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित ‘पद्मनाभ स्वामी मन्दिर’। मूल रूप से यह ‘विष्णु भगवान’ जी का मन्दिर है।
पद्मनाभ स्वामी मन्दिर में एक ‘गर्भगृह’ (प्राचीन काल के मन्दिरों की एक Special जगह जिसमें सिर्फ़ मन्दिर के पुरोहित (religion से related काम करवाने वाला व्यक्ति। जैसे:- पण्डित, Priest, पाठी आदि) ही जा सकते थे।) में भगवान विष्णु जी की सोने की एक बहुत बड़ी मूर्ति रखी हुई है।
इस एक मूर्ति की ही कीमत लगभग 500 करोड़ रुपए है। इस मूर्ति में विष्णु भगवान जी शेषनाग पर शयन मुद्रा (आराम करते हुए) में बैठे हुए हैं, भगवान विष्णु जी की इसी अवस्था को ‘पद्मनाभ’ कहा गया है।
यहाँ पर विष्णु भगवान जी ‘पद्मनाभ स्वामी’ के नाम से प्रसिद्ध हैं और इसी वजह के कारण इस मन्दिर का नाम ‘पद्मनाभ स्वामी मन्दिर’ रखा गया।
केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम का नाम भगवान विष्णु जी से जुड़ा हुआ है। विष्णु भगवान जी का एक नाग है, जिसका नाम ‘अनंत’ है और इसी के नाम पर राजधानी ‘तिरुवनंतपुरम’ का नाम रखा गया है।
पद्मनाभ स्वामी मन्दिर के लगभग 6 दरवाज़ों को खोला जा चुका है, जिनमें से कुल 20 Billion Dollars की संपत्ति निकली है। मन्दिर के इस ख़ज़ाने में सोने के गहने और मूर्तियाँ, हीरे आदि शामिल हैं। इसके अलावा इस मन्दिर में सातवाँ दरवाज़ा भी है लेकिन Supreme Court ने इस दरवाज़े को खोलने पर रोक लगा रखी है।
इस मन्दिर और इसके बेशकीमती ख़ज़ाने की रक्षा भी बहुत ज़रूरी है। इसलिए इस मंदिर की देखभाल का कार्यभार त्रावणकोर के एक शाही परिवार को सौंपा गया है।
तिरुपति वेंकटेश्वर या बाला जी मन्दिर
तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर ज़िले में तिरुमाला के पहाड़ों पर स्थित है। भगवान वेंकटेश्वर या बाला जी विष्णु भगवान का ही एक अवतार हैं। यह मन्दिर वैष्णव सम्प्रदाय (विष्णु भगवान को मानने वाले) के लोगों द्वारा बनवाया गया है।
इस मन्दिर के विषय में कहा जाता है कि विष्णु भगवान ने स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे आराम किया था। यह सरोवर तिरुमाला के नज़दीक मौजूद है। तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर के चारों ओर तिरुमाला की 7 पहाड़ियाँ हैं, जो शेषनाग के सात फनों की तरह लगती हैं और इसी कारण यह पहाड़ियाँ ‘सप्तगिरि’ कहलाती हैं।
भारत के सबसे अमीर मन्दिर में यह मन्दिर विश्वभर में दान देने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आए भक्त और श्रद्धालु हर साल लगभग 650 करोड़ रुपये दान के रूप में मन्दिर में चढ़ाते हैं। इसके अलावा सिर्फ़ लड्डू के प्रसाद से ही तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर में लाखों रुपये जमा हो जाते हैं।
इस मन्दिर में लगभग 9 Ton सोना तथा 14,000 करोड़ रुपये के आस – पास बैंक में संग्रहित है। इस मन्दिर की संपत्ति लगभग 50,000 करोड़ आंकी गई है।
साईं बाबा मन्दिर
भारत के राज्य महाराष्ट्र के अहमदाबाद ज़िले में शिरडी नामक स्थान पर साईं बाबा मन्दिर मौजूद है। शिरडी में साईं बाबा ने एक फकीर के रूप में जीवन व्यतीत किया। साईं बाबा ने “ख़ुद को पहचानने” और “नाशवान चीज़ों से प्रेम” का विरोध किया है। उन्हें उनके भक्तों द्वारा एक संत के रूप में पूजा जाता है।
इनके भक्तों की मान्यता है कि एक बार शिरडी गाँव में चाँद पाटिल के सम्बन्धी की बारात खंडोबा के मन्दिर के सामने रुकी तो बैलगाड़ियों में से उतर रहे बारातियों में से म्हालसापति नाम के एक व्यक्ति ने फकीर की तरह दिखने वाले इनके तेजस्वी व्यक्तित्व को देखकर इन्हें ‘साईं’ कहकर पुकारा था।
बाद में शिरडी के सभी लोग इन्हें ‘साईं’ या ‘साईं बाबा’ के नाम से बुलाने लगे और इस तरह से यह ‘साईं’ के नाम से पहचाने जाने लगे और इसी आधार पर साईं बाबा मन्दिर बनाया गया।
भारत के सबसे अमीर मन्दिर में तीसरे स्थान पर आने वाले इस साईं बाबा मन्दिर के ख़ज़ाने में 4,428 किलो चाँदी, 380 किलो सोना के साथ – साथ Dollar, Pound जैसी Foreign Currencies शामिल हैं। इसके अलावा इस मन्दिर में लगभग 1,800 करोड़ रुपये की धनराशि जमा है।
भारी मात्रा में श्रद्धालु से साईं बाबा मन्दिर में हर साल लगभग 350 करोड़ रुपये का दान देते हैं।
वैष्णो देवी मन्दिर
यह मन्दिर भारत के जम्मू – कश्मीर राज्य के जम्मू भूभाग पर रियासी मण्डल के कटरा नामक नगर में स्थित है। भारत में कई मान्यता प्राप्त शक्ति पीठ मंदिर हैं, वैष्णो देवी मन्दिर भी इन्हीं में से एक है।
वैष्णो देवी मन्दिर जुड़ी एक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि माता वैष्णो जी ने जिस स्थान पर भैरवनाथ का वध किया वह स्थान ‘भवन’ के नाम से प्रसिद्ध है। देवी वैष्णों जी भैरवनाथ का वध करते समय एक गुफा में छिपी थीं, आज वह गुफा ‘अर्द्धकुंआरी’ के नाम से प्रिसिद्ध है।
भैरवनाथ का वध करने के बाद उसका सिर वैष्णो देवी मन्दिर से 3 किलोमीटर दूर जाकर गिरा था। जिस जगह उसका सिर गिरा था, आज वह स्थान ‘भैरव मन्दिर’ के नाम से जाना जाता है।
वैष्णो देवी मन्दिर की गुफा में रखे हुए तीन पिंड वैष्णो देवी मन्दिर के आकर्षण का केंद्र हैं। इस मन्दिर की देखभाल की ज़िम्मेदारी ‘वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड’ की है। इस मंदिर को प्रतिवर्ष 500 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त होती है, जो वैष्णो देवी मन्दिर को भारत के सबसे अमीर मन्दिर में से एक बनाती है।
सिद्धिविनायक मन्दिर
सिद्धिविनायक मन्दिर भारत के महाराष्ट्र राज्य की राजधानी और देश की आर्थिक राजधानी कहलाए जाने वाले शहर मुंबई में स्थित है। यह मन्दिर भगवान गणेश जी को समर्पित है।
भारत के सबसे अमीर मन्दिर में से एक सिद्धिविनायक मन्दिर से जुड़ी गणपति भगवान जी के बारे में एक मान्यता है कि भगवान गणेश जी भक्तों से बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं और उनकी मनोकामना को पूरा कर देते हैं।
भगवान गणेश जी की जिन मूर्तियों की सूंड दाईं तरह मुड़ी होती है, वह मूर्तियॉँ सिद्धपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मन्दिर ‘सिद्धिविनायक मन्दिर’ कहलाते हैं।
सिद्धिविनायक मन्दिर की एक ख़ासियत यह भी है कि लगभग 3.7 kilogram सोने से इस मन्दिर की Coating की गई है। सिद्धिविनायक मन्दिर को चढ़ने वाले चढ़ावे और दान से हरसाल लगभग 125 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं।
मीनाक्षी सुंदरेश्वर मन्दिर
मीनाक्षी सुंदरेश्वर मन्दिर तमिलनाडू राज्य के मदुरई नामक शहर में स्थित है। इस मन्दिर में मुख्य रूप से दो देवी – देवता हैं। पहले हैं शिव जी, जिन्हें ‘सुंदरेश्वर’ भी कहा जाता है और दूसरे स्थान पर आती हैं, महादेव शिव जी की पत्नी – देवी पार्वती।
देवी पार्वती जी का एक और नाम है – मीनाक्षी। इसका मतलब है – वह देवी जिनकी आँख मछली के आकार के रूप में है। मीनाक्षी सुंदरेश्वर मन्दिर को ‘मीनाक्षी मन्दिर’ और ‘मीनाक्षी अम्मां मन्दिर’ के नाम से भी जाना जाता है।
इस मन्दिर के परिसर में लगभग 33,000 मूर्तियाँ हैं, जिनके दर्शन के लिए रोज़ाना लगभग 20000 – 30000 भक्त आते हैं। मीनाक्षी सुंदरेश्वर मन्दिर में दो Golden Cart हैं, जो इस मन्दिर की ख़ूबसूरती बढ़ाने के साथ – साथ इसे भारत के सबसे अमीर मन्दिर में शामिल होने का गौरव प्रदान करते हैं।
काशी विश्वनाथ मन्दिर
काशी विश्वनाथ मन्दिर भारत के उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है। यह मन्दिर ‘द्वादश (12) ज्योतिर्लिंगों’ में से एक है। सनातन धर्म में पुराणों के अनुसार जिन बारह स्थानों पर महादेव शिव जी प्रकट हुए उन स्थानों पर स्थित शिवलिंग की पूजा ‘ज्योतिर्लिंग’ की तरह की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि जब पार्वती माता अपने पिता के घर रहती थीं, तो एक दिन माता ने भगवान शिव जी से उन्हें अपने घर लेकर जाने के लिए कहा था।
तब भगवान शिव जी देवी पार्वती की बात मानते हुए उन्हें काशी ले आए और इस जगह पर ख़ुद को ‘विश्वनाथ -ज्योतिर्लिंग’ के रूप में स्थापित किया।इस कारणवश इस मन्दिर का नाम काशी विश्वनाथ मन्दिर रखा गया।
इस मन्दिर को ‘शिव की नगरी’ के नाम से भी जाना जाता है।
इस मन्दिर में 3 गुम्बद हैं, जिनमें से 2 गुम्बद के ऊपर सोने की परत चढ़ी हुई है। इस काशी विश्वनाथ मन्दिर में हर साल लगभग 4 से 5 करोड़ रुपये का चढ़ावा आता है, जो इस मन्दिर को भारत के सबसे अमीर मन्दिर में से एक बनाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति एक बार इस मन्दिर के दर्शन कर लेता है और पवित्र गंगा जी में स्नान कर लेता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
निष्कर्ष:- यह सभी भारत के ऐसे मन्दिर हैं जो सिर्फ़ धन – दौलत के मामले में ही नहीं बल्कि पौराणिक और मान्यताओं की दृष्टि से भी भारत के सबसे अमीर मन्दिर कहलाए जाते हैं।
एक और महत्वपूर्ण बात है जो इन मन्दिरों को विशेष बनाती है और वह है कि इन मन्दिरों के दर्शन करने के लिए कोई भी कभी भी जा सकता है। चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या देश का क्यों न हो।