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गूगल का गोलगप्पा डूडल, गूगल को भी भाने लगा है भारत का यह स्ट्रीट फूड

गूगल का गोलगप्पा डूडल

Google's Golgappa Doodle, Google has also started liking this street food of India

गूगल जोकि दुनिया के top search engine में से एक है। ख़ासकर हमारे देश भारत में search engine के लिए अधिकतर गूगल का ही प्रयोग किया जाता है।

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आजकल आपने यह बात notice की होगी कि आप जब भी गूगल को open कर रहे होंगे तो आपको भी गूगल के डूडल में गोलगप्पे की photo दिखाई दे रही होगी और साथ ही गोलगप्पा game खेलने का अवसर भी मिल रहा होगा। यदि आप इसके पीछे का कारण नहीं जानते तो आज हम आपको गूगल के द्वारा उठाए गए इस कदम की वजह बताएँगे।

क्या है गोलगप्पा?

गोलगप्पा भारत का एक स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड है, इसे आटे या सूजी के क्रिस्पी पूरी, आलू के मसाले, खटाई या इमली का पानी आदि के साथ तैयार किया जाता है।

भारत के लोग तो इसे चटकारे लेकर खाते ही हैं, भारतीय लोगों के अलावा विदेशी लोग भी भारत के इस लाजवाब स्ट्रीट फूड को बड़े ही चाव से खाते हैं। भारत के भिन्न – भिन्न शहरों तथा राज्यों में गोलगप्पे को अलग – अलग नामों से जाना जाता है। जैसे:- पानीपूरी, पुचका, फुलकी, गुपचुप आदि।

दरअसल, बात कुछ ऐसी है कि इस दिन साल 2015 में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के एक Restaurant ने अपने customers को 51 प्रकार के भिन्न – भिन्न flavour वाले गोलगप्पे खिलाए थे।

फिर उनके इन 51 प्रकार वाले flavour के लिए उनके द्वारा बनाए गए इस record को ‘golden book of world records’ में शामिल कर लिया गया था। बस, इसी को celebrate करने के लिए गूगल ने आज अपने डूडल में गोलगप्पे की photo के साथ ही गोलगप्पा game को भी launch कर दिया है।

कैसे खेलें गूगल डूडल की यह गोलगप्पा गेम?

गोलगप्पे की यह game timer के साथ start होती है। इस game में आपको तेज़ी से गोलगप्पा vendor की मदद करनी होगी, वह भी customers के taste को ध्यान में रखते हुए।

customers को गोलगप्पा serve करने के लिए screen पर दिए गए भिन्न – भिन्न flavour के पानी को नीचे दिए गए option से pick करना है। जितने ज़्यादा time तक आप सही flavour serve करते रहेंगे, उतनी ही देर तक आप इस game में बने रहेंगे।

हम आपको बता देना चाहते हैं कि महाभारत के समय में द्रौपदी ने गोलगप्पे का Invention किया था।

गोलगप्पे के इस Invention के पीछे भी एक कहानी है और वह कहानी यह है कि जिस समय पांडव निर्वासन में रह रहे थे। उस समय कुंती जोकि द्रौपदी की सास थी, उन्होंने कुंती को बचे हुए आलू तथा गेहूँ के आटे से कुछ ऐसा बनाने के लिए कहा जिसके कारण पाँचों पांडवों की भूख शान्त हो जाए।

अपनी सास द्वारा दिए गए इस आदेश के बाद द्रौपदी ने आलू का मसाला तथा आटे की पूरी बनाकर उन पाँच पांडवों को खिलाकर उनकी भूख शान्त की था।

यह कहा जा सकता है कि महाभारत के प्राचीन समय से ही पानीपूरी खाई जा रही है। इस हिसाब से तो हम इसे एक पौराणिक व्यंजन भी कह सकते हैं। जो आज के भारत के famous स्ट्रीट फूड में से एक है।

 

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