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बहुविवाह होगा BAN : भारत में कितने लोग एक से अधिक शादियाँ करते हैं? जानें किन राज्यों में है सबसे ज़्यादा चलन

बहुविवाह होगा BAN : भारत में कितने लोग एक से अधिक शादियाँ करते हैं? जानें किन राज्यों में है सबसे ज़्यादा चलन

बहुविवाह को समाप्त करने की दिशा में असम में एक बड़ा फैसला लिया गया है। असम के governor ने एक 5 member committee बनाई है, जो बहुविवाह प्रथा पर restriction लगाने के लिए कनून बनाएगी।

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इसका यह मतलब हुआ कि असम में बहुविवाह पर restriction लगाना शुरू हो गया है। CM ‘हिमंता’ कह चुके हैं कि यह restriction किसी special community के लिए नहीं होंगी बल्कि पूरी बहुविवाह प्रथा के against लगाई जाएँगी।

बहुविवाह पर रोक क्यों?

Chief Minister हिमंता कई मंचों पर कह चुके हैं कि ‘बराक घाटी’ के 3 ज़िलों और होजई एवं जमुनामुख के इलाकों में बहुविवाह प्रचलित है। हालाँकि educated class में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है तथा स्थानीय मुस्लिम आबादी के बीच भी इसका इतना प्रचलन नहीं है।

‘सरमा’ ने दावा किया है कि बहुविवाह इस्लामी कानून का ज़रूरी भाग नहीं है। इस मामले की गहराई से जाँच – पड़ताल करने के बाद पता चला है कि असम में बाल विवाह के against चलाए गए operation में यह खुलासा हुआ था कि बहुत से बुजुर्गों ने कई – कई शादियाँ कर रखी थीं।

बहुविवाह और आँकड़े

हाल ही में मुम्बई स्थित International Institute of Population Sciences (IIPS) की अप्रैल में एक study हुई थी। यह study National Family Health Survey (NFHS) के आँकड़ों के base पर तैयार की गई थी। इस study के अनुसार रोक लगाने के बाद भी भारत में वर्तमान समय में बहुविवाह की प्रथा प्रचलित है और ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुस्लिमों में बल्कि हिन्दू और दूसरे धर्मों में भी बहुविवाह हो रहा है।

आँकड़ों के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, असम, सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और मेघालय में बहुविवाह सबसे अधिक हो रहे हैं। इनमें से भी मणिपुर में बहुविवाह का rate सबसे अधिक है।

NFHS – 5 के survey के दौरान मणिपुर की 6 % से अधिक महिलाओं ने कहा कि उनके पति ने एक से अधिक शादी की है। असम में यह rate 2.4 % है, मिजोरम में यह rate 4.1 % है। वहीं सिक्किम में 3.9 % और अरुणाचल प्रदेश में 3.7 % है।

बहुविवाह के सम्बन्ध में देश का कानून

भारत में बहुविवाह पर पूर्णतः रोक है। इस्लाम के अलावा बाकी सभी धर्मों में दूसरी शादी करने की मनाही है। साल 1955 के Hindu Marriage Act के तहत पति या पत्नी के जीवित रहते या बगैर तलाक लिए दूसरी शादी करना crime है।

इस कानून के article 17 के तहत यदि कोई भी पति या पत्नी के जीवित रहते या बिना तलाक लिए दूसरी शादी करता है तो उसे 7 साल की जेल होगी। Hindu Marriage Act हिन्दूओं के शिव जैन, सिख और बौद्ध धर्म के लोगों पर भी लागू होता है।

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