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जानें भारत में कहाँ है करोड़पतियों का गाँव!!! कितना है यहाँ रहने वाले लोगों का बैंक बैलेंस?

जानें भारत में कहाँ है करोड़पतियों का गाँव!!! कितना है यहाँ रहने वाले लोगों का बैंक बैलेंस?

भारत में स्थित है करोड़पति किसानों का गाँव!! जी हाँ, करोड़पति और वह भी किसान। इस गाँव में 50 से भी अधिक करोड़पति किसान रहते हैं। दरसल, इस करोड़पति गाँव का नाम है – हिवरे बाजार गाँव।

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यह गाँव भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर ज़िले में स्थित है। इस गाँव में रहने वाले लोगों ने भूख और गरीबी से लड़ने तथा अपना गाँव बनाने के लिए बहुत मेहनत की है। आज हम आपके साथ इस गाँव का एक साधारण गाँव से करोड़पति गाँव बनने तक का सफर साझा करेंगे।

कैसे बना करोड़पति गाँव?

हिवरे बाज़ार गाँव सूखे के लिए सबसे संवेदनशील इलाकों में से एक था। यह area अत्यधिक loan तथा सूखे के कारण फसल की बर्बादी से जूझ रहा था। जिसके चलते यहाँ के किसान आत्महत्या कर रहे थे।

साल 1972 में अधिकांश परिवार समुदाय के अधिकार वाली भूमि पर थे परन्तु गाँव में चल रहे सूखे ने यहाँ रह रहे लोगों के लिए फसल उगाना या बेचना असम्भव कर दिया था। फिर इस गाँव के लगभग 90% लोग बढ़िया ज़िन्दगी की खोज में शहरों की ओर चले गए

कौन है कर्ताधर्ता?

साल 1989 में हिवरे गाँव की किस्मत बदलनी शुरू हुई। जब ‘पोपटराव पवार’ को सर्वसम्मति से गाँव का सरपंच बनाया गया। सबसे पहले पवार ने गाँव में स्थित सभी अवैध शराब के कारोबार को बन्द करके शराब और धूम्रपान करने से जुड़े जोखिमों को खत्म करने पर ध्यान दिया।

फिर उन्होंने शराब तथा तम्बाकू के सेवन पर रोक लगाई। इसके अलावा इस गाँव की एक और बड़ी समस्या ‘पानी की कमी’ थी, जिसे पोपटराव पवार ने बड़ी चतुराई से सुलझाया।

 

एक तो इस गाँव में हर साल बहुत कम बारिश होती थी। जिससे निपटने के लिए पवार ने एक loan लेकर गाँव में Rainwater Harvesting, Watershed Conservation और Management के लिए एक programme शुरू किया।

फिर कई जलमार्ग बनाए गए, जिनमें 32 पत्थर के Dam, 52 मिट्टी के Dam, Check Dam तथा बारिश को रोकने के लिए leakage tank शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने पर भी ध्यान दिया तथा गाँव के लोगों से animal husbandry और rain water harvesting में invest करने के लिए कहा।

इस गाँव की development तो तब शुरू हुई, जब watershed ने स्थानीय लोगों को सिंचाई तथा विभिन्न फसलों की कटाई में भी मदद की। इस छोटे से गाँव में आज के समय में लगभग 294 पानी के कुएँ हैं जबकि 1990 के दशक में इनकी संख्या मात्र 90 थी।

कुछ ही सालों में इस गाँव में खेती ने फिर ज़ोर पकड़ा और स्थानीय लोगों के लिए income का main source बन गई।

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