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आज भी ख़ूब चलती हैं, भारत की पुरानी Markets

आज भी ख़ूब चलती हैं, भारत की पुरानी markets

Even Today, the Old Markets of India Run Well

भारत देश एक ऐसा देश है, जिसका बहुत समृद्ध इतिहास रहा है। इसी कारण भारत में आज के समय में भी बहुत से ऐतिहासिक स्थल पाए जाते हैं। इन स्थानों की इतिहास की दृष्टि से तो एहमियत है ही साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी इन स्थानों का विशेष महत्व रहा है।

यदि पर्यटन की बात की जाए तो इन ऐतिहासिक स्थानों पर स्थित किले, इमारत के साथ – साथ पुरानी markets का भी पर्यटक को लुभाने में विशेष योगदान रहा है। इन markets की एक विशेषता यह भी है कि यहाँ पर बहुत – सी ऐसी Traditional चीजें मिलती हैं, जिन्हें सिर्फ़ India में ही बनाया जाता है।

आज हम अपने इस blog में आपको भारत की इन्हीं पुरानी markets के बारे में बताएँगे, जिन्हें अंग्रेज़ों और मुगलों द्वारा बनवाया गया था।

चाँदनी चौक

शाहजहाँ नाम के मुगल बादशाह ने जिस समय अपनी राजधानी शाहजहांनाबाद को बनवाया। उसी समय ‘चाँदनी चौक’ नाम की इस market को स्थापित किया गया था। शाहजहाँ चाहते थे कि उनकी राजधानी शाहजहांनाबाद में एक ऐसी market बनाई जाए, जिसे देखने दूर – दूर से लोग हमारी राजधानी में आएँ।

इसी कारण के चलते मुग़ल बादशाह ने 17वीं सदी में लगभग 1650 के आस – पास ‘चाँदनी चौक’ का निर्माण करवाया था। ‘चाँदनी चौक’ को बनवाने की योजना शाहजहाँ की पसंदीदा बेटी ‘जहाँआरा बेगम’ द्वारा बनाई थी।

इस market को एक वर्गाकार योजना (चौक) में बनाया गया था, इस market के बीच में एक pool बनवाया गया था, जो रात के समय चाँदनी को reflect करता था और इसी आधार पर इस market का नाम ‘चाँदनी चौक’ रखा गया।

‘चाँदनी चौक’ में उस समय में लगभग 1560 दुकानें थीं तथा यह market लगभग 40 गज से अधिक चौड़ा एवं 1520 गज से अधिक बड़ा हुआ करता था।

मीना बाज़ार

‘मीना बाज़ार’ जोकि ‘छत्ता चौक’ के नाम से भी मशहूर है, यह market लाल किले के नज़दीक मौजूद है। लाहौरी गेट के पीछे यह market मौजूद है। यदि इस market के इतिहास की बात की जाए तो प्राचीनता की दृष्टि से यह market बहुत पुरानी है। इस market को भी मुगलों के शासनकाल में बनाया गया था।

मुगलों के समय में ‘सक्कफ’ शब्द का अर्थ छत या छत्ता हुआ करता था क्योंकि तब market खुले होते थे और सिर्फ़ इसी market के ऊपर छत हुआ करती थी। जिस कारण इसे ‘छत्ता चौक’ कहा जाने लगा। उस समय west asia में ढके हुए बाज़ारों का प्रचलन था और इन्हीं बाज़ारों से प्रेरित होकर इस market को बनवाया गया था।

जौहरी बाज़ार

जौहरी बाज़ार को भी मुगल काल के अंतर्गत बनवाया गया था। यहाँ पर हीरे – जवाहरात की बिक्री हुआ करती थी। इस market के शुरूआती दौर में कुछ जौहरियों द्वारा इस market में सबसे पहले दुकानें लगाई थीं, जिस कारण इस market का नाम ‘जौहरी बाज़ार’ रखा गया।

यह market किले तथा कोतवाली के बीचोबीच बनी हुई है। आज इस market में हीरे – जवाहरात के अलावा घर की सजावट की चीज़ें जैसे:- जूते – चप्पल, कपड़े आदि बिकते हुए देखे जा सकते हैं।

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