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जानें कल आने वाली इस ‘कामिका एकादशी’ की कथा और व्रत के बारे में

जानें कल आने वाली इस ‘कामिका एकादशी’ की कथा और व्रत के बारे में

Know about the story and fast of this 'Kamika Ekadashi' coming tomorrow

‘कामिका एकादशी’ नामक इस एकादशी के व्रत की विधि दशमी से ही शुरू हो जाती है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन से ही अपनी भाषा पर नियंत्रण रखना चाहिए तथा सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।

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एकादशी के दिन सुबह – सुबह उठकर स्नान करने के बाद फूल, धूपदीप, फल नैवेद्य आदि वस्तुओं के द्वारा भगवान विष्णु जी की पूजा – अर्चना करने से अति उत्तम फल प्राप्त होता है। जो भी व्यक्ति यह व्रत रखता है, उसे एकादशी की कथा सुननी या फिर पढ़नी चाहिए।

भगवान विष्णु जी के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का यथासंभव जाप करना चाहिए। इस दिन ‘विष्णुसहस्रनाम’ का पाठ भी किया जाता है। सनातन धर्म के शास्त्रों के अनुसार ‘कामिका एकादशी’ का व्रत रखने वाला व्यक्ति रात के समय जागरण करके न तो कभी यमराज का दर्शन करता है तथा न ही कभी उसे नरक में जाना पड़ता है।

क्या है कामिका एकादशी की कथा?

प्राचीन काल में एक गाँव में एक ठाकुर रहा करता था। उस ठाकुर की किसी ब्राह्मण से लड़ाई हो गई तथा गुस्से में उस ठाकुर ने ब्राह्मण जी की हत्या कर दी। इसके पश्चात वह ठाकुर अपने किए पर पछताने लगा।

अपने इस गुनाह की क्षमा याचना हेतु ठाकुर उस ब्राह्मण का क्रिया – कर्म करना चाहता है किन्तु सभी पंडित इस क्रिया – कर्म में शामिल होने से इनकार कर देते हैं तथा इस प्रकार वह ठाकुर ब्रह्म हत्या का दोषी बन जाता है। फिर वह ठाकुर एक मुनि जी से निवेदन करता है कि हे भगवन, मेरा पाप कैसे दूर होगा?

इस पर मुनि जी उसे ‘कामिका एकादशी व्रत’ रखने की सलाह देते हैं। ठाकुर नियमपूर्वक एकादशी का व्रत रखता है। फिर रात के समय जब वह भगवान जी की मूर्ति के पास सो रहा था, तभी सपने में उसे भगवान जी के दर्शन हो जाते हैं।

भगवान जी उससे कहते हैं कि मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त करता हूँ। इस प्रकार वह ठाकुर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है।

सनातन धर्म के धर्मग्रंथों में यह उल्लेख किया गया है कि भगवान विष्णु जी के आराध्य भगवान शिव जी हैं तथा भगवान शिव जी के आराध्य भगवान विष्णु जी हैं। इस तरह से श्रावण मास में आने वाली कामिका एकादशी का महत्व काफ़ी बढ़ जाता है। इस साल यानी साल 2023 में यह एकादशी 13 जुलाई, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।

यह व्रत रखने से भगवान विष्णु जी के साथ – साथ भगवान शिव जी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस एकादशी के स्मरण मात्र से ही ‘वाजपेय यज्ञ’ का फल प्राप्त हो जाता है तथा जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, उसके सभी पाप ख़त्म हो जाते हैं एवं वह व्यक्ति उत्तम लोक का हकदार बन जाता है।

दीपदान एवं पूजा विधि

कामिका एकादशी के दिन गदा, शंख, चक्र धारण करने वाले भगवान विष्णु जी की भक्तिपूर्वक पूजा की जाती है। वेद – पुराणों में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, इस ‘कामिका एकादशी’ के दिन जो भी मनुष्य भगवान जी के समक्ष तिल के तेल या फिर घी का दीप जलाता है, उसके पित्तर स्वर्ग में अमृत पीते हैं।

इस दिन मन्दिर, पीपल और केले की जड़ में, तुलसी के नीचे आदि जो भी व्यक्ति दीपदान करता है, उसे अक्षय पुण्यों का फल मिलता है।

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