नवरात्रि कलश विसर्जन विधि : नवरात्रि के आखिरी दिन यह गलती की तो बन सकते हैं पाप के भागीदार!!! सही तरीक़े से करें नवरात्रि कलश का विसर्जन
नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन ‘घटस्थापना या कलश स्थापना’ की जाती है, जिसमें जवारे बोए जाते हैं। इस कलश को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
माँ दुर्गा जी के साथ 9 दिन तक इस कलश को भी पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसके कारण घर में सुख – समृद्धि आने के साथ धन – दौलत में भी वृद्धि होती है तथा नवरात्रि के आखिरी दिन इस कलश का विसर्जन किया जाता है।
नवरात्रि कलश विसर्जन की सही विधि
नवरात्रि समापन के पश्चात् विधि – विधान से माँ दुर्गा तथा कलश की पूजा की जाती है। फिर उसके बाद कलश विसर्जन तथा मूर्ति विसर्जन किया जाता है परन्तु उचित तरीक़े से कलश का विसर्जन करना चाहिए, तभी व्रत एवं 9 दिन की पूजा का पूरा फल मिलता है।
विधि :
- सबसे पहले ‘ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे..’ मंत्रोच्चार के साथ कलश के ऊपर रखे हुए नरियल को आराम से उठाएँ।
- फिर इस नारियल को लाल चुनरी में बाँधकर अपनी पत्नी, माँ, बहन या बेटी को दे दें।
- अब कल में लगे हुए आम के पत्तों से पूरे घर में कलश के पानी का छिड़काव करें। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह जल पवित्र होता है तथा घर में समृद्धि, खुशहाली को बढ़ाता है।
- सबसे पहले रसोईघर में इस कलश का जल छिड़कें, फिर बाद में बाकी घर और मुख्य द्वार पर भी छिड़कें।
- इस जल को छिड़कते हुए एक बात का विशेष ध्यान रखें कि कभी भी बाथरूम या टॉयलेट के आसपास या अन्य किसी अपवित्र जगह पर इस कलश का जल ना छिड़कें।
- इसके बाद बाकी के जल को तुलसी के पौधे या किसी अन्य पेड़ में डाल दें।
Disclaimer : इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी केवल मनोरंजन और सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है। हमारा यह ब्लॉग पूर्णता, विश्वसनीयता और सटीकता के बारे में कोई वारंटी नहीं देता है। यदि आप इस website से सम्बन्धित जानकारी को लेकर कोई भी कार्रवाई करते हैं, तो वह पूरी तरह से आपका अपना जोखिम होगा।