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उत्तर भारत के प्रसिद्ध व्यंजन

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उत्तर भारत जितना अपने ख़ूबसूरत पहाड़ों, घने जंगलों और हरे – भरे खेतों के लिए प्रसिद्ध है, उतना ही अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ के लोगों द्वारा माँसाहारी खाने की तुलना में शाकाहारी खाने को अधिक पसन्द किया जाता है, जिस कारण उत्तर भारत के अधिकतर प्रसिद्ध व्यंजन शाकाहारी हैं।

उत्तर भारत में शामिल राज्यों जैसे:- उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि के बहुत से ऐसे ज़ायकेदार व्यंजन हैं, जिन्हें खाते ही इन राज्यों की ख़ूबसूरत – सी छवि हमारे दिमाग में आ जाती है। यह व्यंजन उत्तर भारत में पसन्द किए जाने के साथ ही भारत के लोकप्रिय व्यंजनों की सूची में भी आते हैं।

आज हम उत्तर भारत के ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध व्यंजनों के बारे में बताने के साथ – साथ वह व्यंजन कैसे बनाए जाते हैं, इसकी भी जानकारी आपको देंगे ताकि अगर आप लोग चाहें तो इन व्यंजनों को Hygiene तरीके से घर पर बनाकर इनका स्वाद चख सकें।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश राज्य हिन्दी के महान साहित्यकारों जैसे:- प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा आदि के लिए प्रसिद्ध होने के साथ – साथ ‘गुझिया’ और ‘पेड़ा’ के लिए भी पूरे भारतवर्ष में मशहूर है।

गुझिया (Gujiya)

गुझिया उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले के गाँवों की प्रमुख Dish है, जिसकी सुगंध विदेशों में भी महक रही है। इसे ख़ासतौर पर होली के अवसर पर बनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में इस व्यंजन की प्रसिद्धि इस बात से जानी जा सकती है कि इस Dish के बिना होली का त्यौहार अधूरा माना जाता है।

बनाने का तरीका

गुझिया बनाने के लिए सबसे पहले मैदा को गूँथकर रोटी की तरह बेल लिया जाता है, फिर सूजी, बूरा, सूखे मेवे आदि के Mixture को इसके अन्दर भरकर तेल में Deep Fry किया जाता है और उसके कुछ मिनटों के बाद इस स्वादिष्ट व्यंजन को पेट का रास्ता दिखाया जाता है।
गुझिया बनाने के लिए विशेष साँचे का प्रयोग किया जाता है, जिसकी वजह से यह अर्धचन्द्राकार (आधे चाँद की तरह), गोल, तिकोने आदि आकर्षक आकृतियों में मिलती है। होली के त्यौहार की Most Important Dish होने के नाते उत्तर प्रदेश की इस Dish को उत्तर भारत के प्रसिद्ध व्यंजनों में शामिल करना बहुत ज़रूरी है।

पेड़ा (Peda)

पेड़ा नाम की इस मिठाई का उद्गम (जन्म / जहाँ सबसे पहले इसे बनाया गया हो) उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में हुआ था, परन्तु वर्तमान समय में यह भारत के अलग – अलग स्थानों पर भी बनाई, खाई और पसन्द की जाती है।

बनाने का तरीका

पेड़ा बनाने के लिए सबसे पहले गाय के दूध से बने मावा या खोया को कढ़ाई में तब तक भूना जाता है जब तक वह हल्के भूरे रंग का नहीं हो जाता। उसके बाद इसमें पिसी हुई शक्कर और इलायची पाउडर को मिलाकर पेड़े को मनचाहा आकर दे दिया जाता है।
मथुरा के इस पेड़े की एक और विशेषता है और वह यह कि इसके साथ बहुत – सी कहावतें जुड़ी हैं। जैसे:-

“मथुरा के पेड़े मोहे लावे, खिलावे जी…”

अधिकतर ऐसी कहावतें पूजा से संबंधित हैं। पेड़े के साथ कहावतों का जुड़ा होना इसे उत्तर भारत के प्रसिद्ध व्यंजनों का हिस्सा बनाता है।

राजस्थान

अपने बड़े – बड़े शाही किलों और मशहूर महलों के अलावा राजस्थान अपने लाज़वाब व्यंजनों के लिए भी उत्तर भारत के प्रसिद्ध व्यंजनों में अपनी जगह बना चुका है। ‘बीकानेरी भुजिया’ और ‘दाल बाटी चूरमा’ राजस्थान की प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है।

बीकानेरी भुजिया (Bikaneri Bhujia)

जैसा कि बीकानेरी भुजिया के नाम से ही पता चलता है कि यह राजस्थान राज्य के बीकानेर शहर की विशेष वस्तुओं में से एक है। बीकानेरी भुजिया एक विशेष प्रकार की नमकीन है। बीकानेरी भुजिया नमकीन अपने तीखेपन के लिए प्रसिद्ध है।

बनाने का तरीका

बीकानेरी भुजिया को बनाने के लिए पहले बेसन, मटर का आटा, इलायची पाउडर, हींग, नमक और तीखेपन के लिए काली मिर्च आदि Mixture में पानी डालकर उसे आटे की तरह गूँथ लें।
फिर आटे को लम्बा गोल आकार देकर उसे Sev Press (नमकीन बनाने की एक Machine) में डालकर रखें। फिर एक कढ़ाई में तेल गर्म करके Sev Press दबाते हुए Mixture उसमें डालें। फिर आखिर में सुनहरा होने के बाद उसे कढ़ाई से निकल लें। इस प्रकार बीकानेरी भुजिया बनकर तैयार हो जाती है।

दाल बाटी चूरमा (Dal Baati Churma)

दाल बाटी चूरमा राजस्थान की ‘Signature Dish’ के रूप में काफ़ी प्रसिद्ध है। यह Dish शादी, Birthday Party आदि में बनाई जाती है और आमतौर पर दाल बाटी चूरमा को दोपहर के खाने के समय बनाया जाता है।

बनाने का तरीका

बाटी (Baati)

बाटी को बनाने के लिए, मोटे गेँहू के आटे में दही, अजवायन बेसन, घी और पानी डालकर, उसे गूँथकर, नींबू की Shape की तरह गोलियाँ बनाकर उसे 1 घण्टे के लिए रख देते हैं। फिर उसे कोयले के ऊपर सुनहरा होने तक सेंका जाता है और Last में घी में डालकर रख दिया जाता है।

दाल (Dal)

दाल बनाने के लिए, चना, अरहर, उड़द और मूँग की छिलके वाली दाल इन सभी को उबाला जाता है। फिर घी, जीरा, तेजपत्ता, हींग, प्याज और अदरक लहसुन के Paste को एक पतीले में डालकर भूरा होने तक भूना जाता है।
उसके बाद टमाटर डालकर थोड़ी देर तक पकाया जाता है। फिर दाल में मसाले, नमक को मिलाकर गाढ़ा रस होने तक पकाया जाता है और आख़िर में बाटी को दाल में डुबोकर खाया जाता है।

चूरमा (Churma)

चूरमा को मीठे आटे से बनाया जाता है। इसे ख़ासतौर पर दाल बाटी के साथ ही परोसा जाता है। चूरमा एक तरह की मिठाई है, जिसे लड्डू के आकार में बनाया जाता है।

 

पंजाब

पंजाब राज्य ‘गुरुओं की भूमि’ कहलाए जाने के साथ – साथ ‘मक्की की रोटी’ और ‘सरसों के साग’ के लिए भी प्रसिद्ध है। पंजाब की इस Dish के स्वाद ने देश से लेकर विदेशों तक धूम मचा रखी है। वैसे तो आजकल सभी व्यंजन सालभर खाने को मिलते हैं लेकिन इसे मुख्य रूप से ठण्ड के मौसम में बनाया जाता है।

मक्की की रोटी (Makki Ki Roti)

जिन लोगों को गैस की Problem होती है उन्हें मक्के का आटा खाने की सलाह दी जाती है क्योकि एक तो इसे पचाना काफी आसान होता है और दूसरा यह Gluten – Free होता है।

बनाने का तरीका

मक्की की रोटी बनाने के लिए सबसे पहले मकई (Corn) के आटे को छानकर उसमें पानी डालकर उसे गूँथ लिया जाता है, फिर उसके बाद उसकी लोई बनाकर उसे हथेलियों के बीच दबाकर चपटी रोटी की तरह बना लिया जाता है।

रोटी का नाम सुनकर आप चकला – बेलना मत उठा लेना क्योंकि पंजाब की इस रोटी की यही ख़ास बात है कि इसे हाथों से ही चपटा करना होता है नहीं तो इसका मूल स्वाद (Actual Taste) नहीं आता। फिर रोटी की तरह चपटा कर लेने के बाद, इसे मिट्टी के चूल्हे पर तवा चढ़कर पकाया जाता है।

सरसों का साग (Sarson Ka Saag)

सरसों की तासीर (Nature) गर्म होती है, इसलिए पंजाब में इसे ज़्यादातर सर्दियों के मौसम में खाया जाता है। इसके अलावा यह Metabolism को Control करने में काफ़ी Help करता है क्योंकि इसमें High Quantity में Fiber होता है। जो Body – Weight Maintain रखता है।

बनाने का तरीका

सरसों का साग बनाने के लिए पहले पहले सरसों, बथुआ और पालक के पत्ते को को उबाला जाता है, फिर उसे मथनी के सहायता से घोटा जाता है मतलब अच्छे से मिलाया जाता है। फिर उसमें टमाटर, अदरक, लहसुन और हरी मिर्च का तड़का लगाया जाता है।
अगर मक्की की रोटी और सरसों के साग को उत्तर भारत के प्रसिद्ध व्यंजनों में शामिल न किया जाए तो पंजाब राज्य के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफ़ी होगी।

हरियाणा

कुश्ती, Boxing आदि खेलों के खिलाड़ियों के अलावा हरियाणा की प्रसिद्धि का श्रेय (Credit) अगर किसी को जाता है तो वो है – ‘घेवर’ और ‘बाजरे की खिचड़ी’। इन दोनों व्यंजनों ने अपने स्वाद और त्योहार की पृष्ठभूमि (Background) के कारण उत्तर भारत के प्रसिद्ध व्यंजन में बख़ूबी अपनी जगह बना ली है।

घेवर (Ghevar)

घेवर एक प्रकार की मिठाई है। हरियाणा में इसे ख़ासतौर पर तीज के त्यौहार पर बनाया जाता है और अपनी बेटियों के ससुराल में बाकि शगुन की चीज़ों के साथ भेजा जाता है।

बनाने का तरीका

हरियाणा के इस घेवर को बनाने के लिए पहले मैदा को छानकर उसका Batter बना लिया जाता है उसके बाद बर्फ़ को घी के साथ तब तक रगड़ा जाता है जब तक उसमें मोटी क्रीम न आ जाए। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि Batter में हवा के Bubbles Add करके उसे छेद वाला बनाया जा सके।
वैसे तो घेवर को चीनी Syrup के साथ परोसा जाता है लेकिन इसके अलावा इसे मलाई, मावा, रबड़ी और Silver Work के साथ भी परोसा जाता है।

बाजरे की खिचड़ी (Bajra Khichdi)

हरियाणा में बाजरे की खिचड़ी को अधिकतर सर्दियों में बनाया जाता है। बाजरे में Magnesium होता है जो हमारे शरीर में Insulin बनाता है। यह Diabetic और Heart Patient के लिए अच्छा होता है। इतनी सेहतमंद Dish होने के कारण इसे उत्तर भारत के प्रसिद्ध व्यंजनों में शामिल किया गया है।

बनाने का तरीका

बाजरे की खिचड़ी बनाने के लिए पहले बाजरा, मूँग की दाल, पानी और नमक को डाल कर Pressure Cooker में डालकर 4 सीटी लगा लें। फिर Frying Pan में घी डालकर उसमें हींग, हल्दी Powder डालकर धीमी आँच पर उसे भूनें।
अब पके हुए बाजरा और मूँग दाल के Mixture में नमक डालकर उसे अच्छी तरह मिलाकर 2 – 3 मिनट तक धीमी आँच पर पकाएँ।

निष्कर्ष: उत्तर भारत के इन प्रसिद्ध व्यंजनों के बारे में पढ़कर मुँह में पानी आना तो लाज़मी है। तो लगे हाथ इन व्यंजनों को घर पर बनाकर या फिर Online Order करके इन ख़ुशबूदार, स्वादिष्ट व्यजनों का लाभ उठाइए और इन व्यंजनों की प्रसिद्धि का अनुभव कीजिए।

उत्तर भारत के यह व्यंजन अपने में बहुत – सी विशेषता लिए हुए हैं। कोई त्योहारों के उत्सव को मिठास प्रदान करता है तो कोई पौष्टिक खाने के रूप शरीर को सेहतमंद बनाता है। इन्हीं ख़ूबियों की वजह से उत्तर भारत के इन व्यंजनों को देश – विदेश में पसन्द किया जा रहा है।

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