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सावन में गणपति बप्पा को करें प्रसन्न, संकष्टी चतुर्थी व्रत के संग

सावन में गणपति बप्पा को करें प्रसन्न

Make Ganpati Bappa Happy in Savan, with Sankashti Chaturthi Fast

सावन मास में कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को ‘गजानन संकष्‍टी चतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 6 जुलाई को सावन की संकष्‍टी चतुर्थी को मनाया जाएगा।

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ऐसी मान्यता है कि सावन का महीना भगवान शिव जी को समर्पित होता है तथा भगवान गणेश जी भगवान शिव जी के पुत्र हैं, इसी कारण सावन के इस महीने में संकष्‍टी चतुर्थी को मनाया जाता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्‍व

ऐसा माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख और सौभाग्‍य में बढ़ोतरी होती है। गणेश जी अपने भक्तों के कष्टों को हरते हैं और उन्हें हर आने वाली मुसीबत से बचाते हैं, इसी कारण संकष्टी चतुर्थी को शुरू से ही इससे जोड़कर देखा जाता रहा है।

गणपति जी महाराज अपने भक्तों के सभी कार्यों में आ रही बाधाओं को दूर करके उनके कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करवा देते हैं। यदि आप संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत रखते हैं तो आपकी ज़िन्दगी से सभी प्रकार के दुःख – तकलीफ दूर हो जाते हैं।

संकष्‍टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से आपके सुख और सौभाग्‍य में तो वृद्धि होगी ही साथ ही आपको शुभ – लाभ की भी प्राप्ति होगी। संकष्‍टी चतुर्थी व्रत से जुड़ी कुछ बातें हैं, यदि आप संकष्‍टी चतुर्थी का यह व्रत करते हैं तो आपको इस दिन पूजा के समय संकष्‍टी चतुर्थी व्रत की कथा ज़रूर पढ़नी या सुननी चाहिए। रात के वक्‍त इस व्रत में भगवान गणेश जी की पूजा के पश्चात् चाँद को भी पूजते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि एवं मुहूर्त

6 जुलाई को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर सावन की संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत हो जाएगी तथा इसका समापन 7 जुलाई की रात को 3 बजकर 13 मिनट पर हो जाएगा।

व्रत की पूजाविधि

संकष्‍टी चतुर्थी के व्रत वाले दिन सबसे पहले सुबह – सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करने के बाद बिना चाय – पानी पिए साफ़ – सुथरे कपड़े पहनकर हाथ में जल लेकर भगवान गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्‍प लिया जाता है।

अब आप पूजा की जगह पर लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का एक कपड़ा बिछाएँ तथा उसपर भगवान गणेश जी की प्रतिमा को स्‍थापित करें। अब भगवान गणेश जी का अभिषेक करके, उन्हें चन्दन लगाकर वस्‍त्र अर्पित कीजिए।

यदि आप भगवान गणेश जी की प्रतिमा पर वस्‍त्र नहीं अर्पित कर सकते तो मन में श्रद्धा भाव से कलावा अर्पित कर सकते हैं।

अब आपको भगवान गणेश जी को धूप – दीप, फल – फूल, 21 दूर्वा, अक्षत, गंध आदि अर्पित करनी होगी तथा उसके बाद मोदक का भोग लगाना होगा। फिर बाद में गणेश चालीसा का पाठ करना होगा एवं संकष्‍टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनने के बाद अंत में भगवान गणेश जी की आरती करनी होगी।

संध्या के समय एक बार फिर आपको इसी विधि से भगवान गणेश जी की पूजा करके बाद में आरती करनी होगी। फिर रात के समय चाँद के निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्‍य दें और व्रत पारण करें। आप संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत रखकर गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। 

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